यूपी सरकार को फार्मेसी डिप्लोमा होल्डर्स की नियुक्ति का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को 2002 तक फार्मेसी डिप्लोमा कर चुके स्वास्थ्य विभाग में नियुक्त करने का आदेश दिया है। राज्य सरकार ने शीर्षस्थ अदालत को दो माह के भीतर आदेश पर अमल का आश्वासन दिया है। सर्वोच्च अदालत ने इस मसले पर 2010 में फैसला दिया था, जिसका अनुपालन नहीं होने पर अवमानना याचिका दाखिल की गई। उसी याचिका पर अदालत ने यह आदेश जारी किया है।
चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश में कहा कि अदालत की ओर से 3 अगस्त, 2010 को इस मसले पर जारी फैसले के दायरे में आने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति राज्य सरकार की ओर से नहीं की गई, क्योंकि राज्य सरकार की ओर से 2002-03 में नया नियम लागू किया गया।
उन्होंने कहा कि फैसले में यह स्पष्ट किया गया था कि जिन अभ्यर्थियों ने 2002 तक और उससे पहले फार्मेसी डिप्लोमा कर चुके अभ्यर्थियों को राज्य सरकार नियुक्ति करेगी। यह लाभ सिर्फ अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले ही नहीं, बल्कि समान योग्यता रखने वाले अन्य अभ्यर्थियों को भी मिलनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता इरशाद अहमद की ओर से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक की ओर से हलफनामा पेश किया गया। इसमें यह स्पष्ट किया गया है कि राज्य सरकार ने फैसले के मुताबिक नियुक्ति न पाने वाले अभ्यर्थियों की मेरिट लिस्ट तैयार कर ली है, जिन्होंने 1998 तक डिप्लोमा हासिल कर लिया था।
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने यह आश्वासन दिया है कि वह 2002 तक डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों को लेने नयी योजना के तहत नियुक्ति देगी। प्रदेश सरकार ने कहा है कि अदालत का आदेश का दो माह में पालन किया जाएगा और रिक्तियां उपलब्ध करायी जाएंगी। पीठ ने राज्य सरकार को 2002 से तक डिप्लोमा करने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने का निर्देश जारी करते हुए अवमानना याचिकाओं का निपटारा कर दिया है। साथ ही सरकार को अभ्यर्थियों की सूची का दूसरा हिस्सा भी पेश करने को कहा है।
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